तेरी इन आँखों में मैं डूबना चाहता हूँ ..
तैरना नहीं आता है पर फिर भी इनकी इनकी हदें जाना चाहता हूँ
ना जाने किनारा मिलेगा या तल
दूरियां नहीं तो कम से मैं इनकी गहराईयां नापना चाहता हूँ ।
तेरी आँखों मैं एक कषिष सी है
जो मुझे तुझसे कभी रूठने नहीं देती
काश ये आँखें ही मेरी इबादत होती
मंदिर , मस्जिद और न जाने कितने ताज महल बनवा देता मैं
इन आँखों ने मुझे एक नयी रौशनी दी है
दीखता तो पहले भी था पर उजाला अब हुआ है
इस भोर की सुबह होने मैं न जाने कितना वक़्त लग गया
शायद सही कहते हैं लोग की कामयाभी हर किसी को नहीं मिलती
वो उन्हें मिलती है जो किनारापरवाह किये बिना ही गोता लगते हैं
न की उन्हें जो किनारे पे बैठ कर गहरायी नापते हैं
तुम्हारी इन आँखों के बारे में मैं क्या कहूं
हर बार जबान खुलती है पर लफ्ज़ नहीं आ पाते
मू खोलता हूँ तो अलफ़ाज़ साथ नहीं देते
और कुछ न कहूं तो दिल मैं अफ़सोस होता है की इतनी खूबसूरत चीज़ के बारे में दुनिया अनजान है।
खूबसूरत वो नहीं होता जिसे अपने होने का गुरूर हो
असली खूबसूरत वो है जिसे अपनी खूबसूरती का एहसास भी नै हो
उसकी मासूमियत ही उसकी खूबसूरती मैं चार चाँद लगा देती है
हीरे को हीरे की वक़त नहीं होती , उसके लिए तो वो अभी भी कोयला ही होता है
हीरे को वक़त होती है तो उस जोहरी को , जो उसे देख कर उसकी कीमत आंक लेता है
मैं भी एक हार हुआ जोहरी था जो अब कोयला धोये जा रहा था ,
न जाने कैसे ये कोहिनूर मेरी झोली मैं आ गिरा
इस बहुमूल्य हीरे की कीमत मुझे पता है,
बस कोशिश यही है की उस हीरे को खुद उसकी कीमत समझा पाऊं
यही जददोजहत में मैं हर बार खो जाता हूँ
पर फिर सामने से तेरी वो चमकती आँखें मुझे बुलाती हैं
और मेरी सारी मायूसी एक पल मैं गायब हो जाती है
वो दो आँखें मेरे दो सूरज हैं जिनका कभी अस्त नहीं होता।
उनकी रौशनी में मैं अपनी पूरी ज़िन्दगी बिताना चाहता हूँ
बस अब इंतज़ार है तो बस इस बात का
की कब वो आँखें इन आँखों में अपना घरोंदा बनाएंगी.
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